* जिंदगी क्या है *
जिंदगी क्या है बस कुछ भावनाओं का खेल !
किसी से होता है मनमुटाव या किसी से मेल !
कोई तो सहन कर लेता है. कोई नहीं पाता झेल !
किसी किसी का तो निकल जाता है वास्तव में तेल !
हजारों वार खुद गल्तियां करे पर दूसरों पर करे गुस्सा !
किसी पर मुस्कराना तो बना लेता जिंदगी का हिस्सा !
रात और दिन ऐक कर देता खुशी से कमाने में पिसता !
वरदास्त नहीं होती किसी की बातें चाहे हो फरिश्ता !
प्यार पाके अपनों का बनाता है जो अटूट रिश्ता !
चुका क्यों न पाता है वह बनके ऐक फरिश्ता !
मौत से डर कर भागता रहता जिंदगी भर !
Anonymous