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भारत को दो विश्व कप जिताने वाले कप्तान बोले- पद्म श्री से ज्यादा मुझे नौकरी की जरूरत है
Tuesday, June 2, 2020 IST
भारत को दो विश्व कप जिताने वाले कप्तान बोले- पद्म श्री से ज्यादा मुझे नौकरी की जरूरत है

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय टीम को दो बार ब्लाइंड वर्ल्ड कप जिताने वाले कप्तान शेखर नाइक (Shekhar Naik) इस समय वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। यही कारण है कि उन्होंने भारत के खेल मंत्री किरण रिजिजू से स्पोर्ट्स कोटा के तहत जॉब की मांग की है, जिससे कि वे अपनी 31 वर्षीय पत्नी पूजा, दो बेटियां 10 साल की पूर्विका और 5 साल की संविका का जीवन यापन कर सकें। उन्होंने कहा है कि उन्हें पद्म श्री सम्मान नहीं, नौकरी चाहिए।

 
 

बेंगलुरु के रहने वाले 33 वर्षीय शेखर नाइक देश के पहले ब्लाइंड क्रिकेटर हैं, जिनको पद्म श्री सम्मान से नवाजा जा चुका है। उन्होंने बेंगलुरु में साल 2012 के टी20 वर्ल्ड कप में और साल 2015 में साउथ अफ्रीका में वनडे वर्ल्ड कप में बतौर कप्तान भारतीय टीम को जीत दिलाई थी। वह मौजूदा समय में एक निजी कंपनी में काम करते हैं, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन के कारण उनकी कंपनी हो गई है, जिसका नुकसान उनको हुआ है।
 
 
शेखर नाइक ने दैनिक जागरण के सहयोगी अखबार मिड-डे को बताया है, "मेरी सैलरी 25 हजार रुपये है, जिसमें से मेरे घर का किराया 12 हजार रुपये निकल जाता है। जैसे-तैसे मैं पूर्व में अपने परिवार को मैनेज कर रहा था, लेकिन लॉकडाउन के कारण मेरी सैलरी होल्ड पर है और ऐसे में मैं दो महीने से अपने घर का रेंट भी नहीं दे पा रहा हूं। मेरा परिवार इस समय कठिन समय से गुजर रहा है। मेरी सारी सेविंग्स भी खत्म हो गई हैं।
 
लगातार अधिकारियों से बात करने के बाद भी उनको नहीं सुना गया है। बीए पास शेखर नाइक ने कहा है, "पिछले आठ वर्षों में, मैंने कर्नाटक के विभिन्न मुख्यमंत्रियों से मुलाकात की, उनसे सरकारी नौकरी के लिए अनुरोध किया। पिछले दिसंबर में, मैं दिल्ली में खेल मंत्री रिजिजू से मिला और उनसे कहा कि पद्म श्री से ज्यादा मुझे एक अच्छी नौकरी की सख्त जरूरत है क्योंकि मेरी पत्नी भी नेत्रहीन है।"
 

 
 

नाइक जन्म से ही अंधे थे, लेकिन आठ साल की उम्र में उनका एक एक्सीडेंट हुआ जिसके परिणामस्वरूप उन्हें 60% दृष्टि सीधे आंख में मिली, जबकि बाईं आंख का इलाज नहीं किया जा सका। एक B2 कैटेगरी के ब्लाइंड क्रिकेटर शेखर नाइक मिडियम पेस तेज गेंदबाज हैं, जिन्होंने 22 विकेट हासिल किए थे और साल 2012 के वर्ल्ड कप में बेस्ट बॉलर का अवॉर्ड जीता था।
 
कर्नाटक सरकार ने उनको 3 लाख रुपये इनाम के तौर पर दिए थे, जिससे वे रेंट भर पाए थे। उनको खेल मंत्रालय की ओर से 7 लाख रुपये वर्ल्ड कप जीतने के लिए मिले थे, क्योंकि उन्होंने 650 रन बनाए थे और 17 विकेट हासिल किए थे। हैरान करने वाली बात ये है कि इसमें से दो लाख दस हजार रुपये उन्होंने क्रिकेट एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड इन इंडिया के लिए डोनेट कर दिया है, जिससे कि ब्लाइंड क्रिकेटर्स की मदद की जा सके।
 
साल 2017 में पद्म श्री सम्मान के अलावा उनको एक-एक लाख रुपये केंद्र और राज्य सरकार से मिले थे। इस राशि को उन्होंने अपनी बेटियों के भविष्य के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट कर दिया था और बाकी का पैसा उनकी शिक्षा पर खर्च हो गया। अपनी बात खत्म करते हुए नाइक ने कहा, "यह अच्छा है कि नेत्रहीन क्रिकेटरों को पुरस्कार मिले, हालांकि वे छोटे हो सकते हैं, लेकिन यह अधिक महत्वपूर्ण है कि उन्हें सुरक्षित भविष्य के लिए उचित रोजगार दिया जाए।"
 

 
 
 
 
 

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When time never waits you should ask why you are waiting for the right time. If time never waits then there is no wrong time to begin doing right things.
Anonymous

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Shibu Chandran
2 hours ago

Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

November 28, 2016 05:00 IST
Shibu Chandran
2 hours ago

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November 28, 2016 05:00 IST
Shibu Chandran
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