खाने का कौन-सा तरीका है नुकसानदेह, शास्त्रों में भोजन को लेकर क्या दी गई है हिदायत
Wednesday, June 10, 2020 IST
भारतीय परंपरा में भोजन को भगवान का दर्जा प्राप्त है। कहा जाता है कि भोजन यदि सही तरीके से किया जाए तो न सिर्फ वो हमें पोषण देता है अपितु उससे हमारी आयु में भी वृद्धि होती है। शास्त्रों में भोजन को लेकर कई तरीके बताए गए हैं...
भारतीय परंपरा में भोजन को भगवान का दर्जा प्राप्त है। कहा जाता है कि भोजन यदि सही तरीके से किया जाए तो न सिर्फ वो हमें पोषण देता है अपितु उससे हमारी आयु में भी वृद्धि होती है। शास्त्रों में भोजन को लेकर कई तरीके बताए गए हैं, जिनसे स्वास्थ्य पर सकारात्मक और नकारात्मक असर भी पड़ता है। खाना खाते समय यदि कुछ नियमों का पालन हम करें तो आश्चर्य जनक अच्छे परिणाम मिलते है। ज्योतिषाचार्या साक्षी शर्मा के अनुसार भोजन कैसे करना चाहिये आइये जानते है।
भोजन करने के लिये उचित दिशा:
वास्तु शास्त्र में भोजन करने के लिये पूर्व दिशा को श्रेष्ठ माना गया है। भोजन करते समय मुंह उत्तर दिशा की ओर भी किया जा सकता है। ऐसा करने से शरीर को भोजन से प्राप्त ऊर्जा पूरी तरह से मिलती है। दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन करना अशुभ और पश्चिम दिशा की ओर मुंह करने से बीमारियों में वृद्धि होती है।
आयु वृद्धि हेतु भोजन कैसे करें:
भारतीय संस्कृति में भोजन से पूर्व हाथ धोने का प्रावधान है। खाना खाने से पूर्व यदि दोनों हाथ, दोनों पैर और मुंह को धोया जाए तो आयु में वृद्धि हो सकती है। मान्यता के अनुसार गीले पैरों के साथ भोजन करने से स्वास्थ्य संबंधी लाभ होता है और उम्र में वृद्धि होती है।
भोजन में क्या है वर्जित:
भोजन न तो बिस्तर पर बैठकर और न ही प्लेट हाथ में पकड़कर करना चाहिये। भोजन हमेशा आराम से बैठ कर करना चाहिए। भोजन की थाली लकड़ी की चौकी पर रखें और बर्तन साफ-सुथरे होने चाहिए। टूटे बर्तनों में भोजन करना अशुभ माना जाता है।
प्रभु का स्मरण:
भोजन करने से पूर्व अन्न देवता, अन्नपूर्णा माता और देवी-देवताओं का स्मरण कर उन्हें धन्यवाद करें। भोजन स्वादिष्ट न लगने पर उसका तिरस्कार न करें। ऐसा करने से अन्न का अपमान होता है। अपने भोजन में से गाय, कुत्ते और पक्षियों को कुछ निवाले जरूर दे ऐसा करने से घर में बरकत आती है।
भोजन बनाने की विधि:
भोजन बनाने वाले व्यक्ति को स्नान करके और पूरी तरह से पवित्र होकर ही भोजन बनाना चाहिए। भोजन बनाते समय मन शांत रखना चाहिए। जहां तक हो सके भोजन बनाते समय अपने परिवार के स्वस्थ रहने के विचार करें या मंत्र जप अथवा स्तोत्र पाठ करते रहें। भोजन करते समय हमारे मन में किसी भी व्यक्ति के प्रति ईर्ष्या का भाव नहीं होना चाहिए।
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