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    राजीव गांधी के वो 5 बड़े योगदान, जिनसे बदल गया हिंदुस्तान
    Friday, May 22, 2020 IST
    राजीव गांधी के वो 5 बड़े योगदान, जिनसे बदल गया हिंदुस्तान

    -- राजीव गांधी ने अर्थव्यवस्था के सेक्टर्स को खोला.
    -- 1988 में की गई उनकी चीन यात्रा ऐतिहासिक थी.
    -- राजीव ने पंचायती राज के लिए विशेष प्रयास किए.
    -- अगले दशक में होने वाली आईटी क्रांति की नीव राजीव गांधी ने ही रखी.
    -- मतदान उम्र सीमा 18 साल की और ईवीएम मशीनों की शुरुआत की.

     
     

    1984 में इंदिरा की हत्या के बाद देश में निराशा का माहौल था. लोग चाहते थे कि कोई उन्हें उस माहौल से निजात दिलाए. लोकसभा चुनाव के नतीजे ऐतिहासिक तौर पर कांग्रेस के पक्ष में आए. देश के लोगों ने नौजवान राजीव गांधी को इंदिरा का वारिस और अपना प्रधानमंत्री चुना और अगले पांच सालों में राजीव गांधी ने देश के लिए बहुत सारे फैसले लिए.
     
    इनमें कुछ सराहे गए. तो कुछ आज भी विवादास्पद हैं. शाहबानो केस और अयोध्या मसले की बात करें तो उसके लिए राजीव की आज भी आलोचना होती है. वहीं राजीव के कार्यकाल में हुआ बोफोर्स कांड आज भी कांग्रेस के पीछे साये की तरह घूमता नजर आता है.
     
    लेकिन राजीव ने कुछ बड़े कदम भी उठाए. उनके कुछ बड़े कामों को याद करते हैं.
     
     
    पहले उदारवादी?
    मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ में राजीव के हवाले से लिखा है, भारत लगातार नियंत्रण लागू करने के एक कुचक्र में फंस चुका है. नियंत्रण से भ्रष्टाचार और चीजों में देरी बढ़ती है. हमें इसको खत्म करना होगा.
     
    राजीव ने कुछ सेक्टर्स में सरकारी नियंत्रण को खत्म करने की कोशिश भी की. यह सब 1991 में बड़े पैमाने पर नियंत्रण और लाइसेंस राज के खात्मे की शुरुआत थी.
     
    राजीव ने इनकम और कॉर्पोरेट टैक्स घटाया, लाइसेंस सिस्टम सरल किया और कंप्यूटर, ड्रग और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों से सरकारी नियंत्रण खत्म किया. साथ ही कस्टम ड्यूटी भी घटाई और निवेशकों को बढ़ावा दिया. बंद अर्थव्यवस्था को बाहरी दुनिया की खुली हवा महसूस करवाने का यह पहला मौका था. क्या उनको आर्थिक उदारवाद के शुरुआत का थोड़ा बहुत श्रेय नहीं मिलना चाहिए?
     
     
    गिराई चीन की दीवार
    राजीव गांधी ने दिसंबर 1988 में चीन की यात्रा की. यह एक ऐतिहासिक कदम था. इससे भारत के सबसे पेचीदा पड़ोसी माने जाने वाले चीन के साथ संबंध सामान्य होने में काफी मदद मिली. 1954 के बाद इस तरह की यह पहली यात्रा थी. सीमा विवादों के लिए चीन के साथ मिलकर बनाई गई ज्वाइंट वर्किंग कमेटी शांति की दिशा में एक ठोस कदम थी.
     
    राजीव के चीनी प्रीमियर डेंग शियोपिंग के साथ खूब पटरी बैठती थी. कहा जाता है राजीव से 90 मिनट चली मुलाकात में डेंग ने उनसे कहा, तुम युवा हो, तुम्हीं भविष्य हो. अहम बात यह है कि डेंग कभी किसी विदेशी राजनेता से इतनी लंबी मुलाकात नहीं करते थे.
     
    ‘पावर लोगों के हाथ में हो’
    राजीव गांधी के ‘पावर टू द पीपल’ आइडिया को उन्होंने पंचायती राज व्यवस्था को लागू करवाने की दिशा में कदम बढ़ाकर लागू किया. कांग्रेस ने 1989 में एक प्रस्ताव पास कराकर पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिलाने की दिशा में कोशिश की थी. 1990 के दशक में पंचायती राज वास्तविकता में सबके सामने आया.
     

     
     

    सत्ता के विकेंद्रीकरण के अलावा राजीव ने सरकारी कर्मचारियों के लिए 1989 में 5 दिन काम का प्रावधान भी लागू किया. ग्रामीण बच्चों के लिए प्रसिद्ध नवोदय विद्यालयों के शुभारंभ का श्रेय भी राजीव गांधी को जाता है.

    21 वीं सदी का सपना
    राजीव गांधी के भाषणों में हमेशा 21वीं सदी में प्रगति का जिक्र हुआ करता था. उन्हें विश्वास था कि इन बदलावों के लिए अकेले तकनीक ही सक्षम है. उन्होंने टेलीकॉम और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर्स में विशेष काम करवाया.
     
    सिक्के वाले फोन जो मोबाइल से चलते अब अतीत में बदल चुके हैं. राजीव को अगले दशक में होने वाली तकनीक क्रांति के बीज बोने का श्रेय भी जाता है. उनकी सरकार ने पूरी तरह असेंबल किए हुए मदरबोर्ड और प्रोसेसर लाने की अनुमति दी. इसकी वजह से कंप्यूटर सस्ते हुए. ऐसे ही सुधारों से नारायण मूर्ति और अजीम प्रेमजी जैसे लोगों को विश्वस्तरीय आईटी कंपनियां खोलने की प्रेरणा मिली.
     
    युवाशक्ति की ताकत
    मतदान उम्र सीमा 21 से घटाकर 18 साल करने के राजीव के फैसले से 5 करोड़ युवा मतदाता और बढ़ गए. इस फैसले का कुछ विरोध भी हुआ.
     
    लेकिन राजीव को यकीन था कि राष्ट्र निर्माण के लिए युवाशक्ति का दोहन जरूरी है. ईवीएम मशीनों को चुनावों में शामिल करने समेत कई बड़े चुनाव सुधार किए गए. ईवीएम के जरिए उस दौर में बड़े पैमाने पर जारी चुनावी धांधलियों पर रोक लगी. आज के दौर में चुनाव बहुत हद तक निष्पक्ष होते हैं और इनमें ईवीएम मशीनों का बड़ा योगदान है.

     
     
     
     
     

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    Shibu Chandran
    2 hours ago

    Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

    November 28, 2016 05:00 IST
    Shibu Chandran
    2 hours ago

    Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

    November 28, 2016 05:00 IST
    Shibu Chandran
    2 hours ago

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    November 28, 2016 05:00 IST
    Shibu Chandran
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    November 28, 2016 05:00 IST


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