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एक छोटी सी दुकान, पर आइडिया कमाल का था, आज पूरी दिल्ली में फैला है साम्राज्य
Wednesday, June 10, 2020 IST
एक छोटी सी दुकान, पर आइडिया कमाल का था, आज पूरी दिल्ली में फैला है साम्राज्य

एक शानदार भोजन बिना मिठाई के अधूरा लगता है। आज हम जिस शख्स की कहानी लेकर आये हैं, उन्होंने इसी मिठाई की मिठास के बीच से एक शानदार बिज़नेस आइडिया निकाल उसे आगे बढ़ाते हुए मिठाई की दुकान खोलने का मन बनाया। 

 
 

ज्ञानी गुर चरण सिंह हमारे आज के प्रेरक व्यक्तित्व हैं जो बतौर एक रिफ्यूजी पाकिस्तान के लायलपुर से आकर दिल्ली में शरण ली और मिलियन डॉलर का कारोबार बना लिया। उनका नाम उस अभूतपूर्व सफलता की कहानी कहता है जो लगभग सात दशकों से दिल्ली वालों की ज़ुबान पर मिठास का ज़ायका बनकर आज भी रचा-बसा है।
 
ज्ञानी जी ने 1956 में चाँदनी चौक में एक छोटी सी दुकान से अपनी शुरुआत की। शुरुआत में वे केवल एक आइटम- रबड़ी-फालूदा ही बेचा करते थे। यह दुकान जल्द ही बहुत मशहूर हो गई। दिल्ली के पुराने बाज़ार में जो लोग खरीददारी करने आते, चाहे शहर के हो या फिर गांव के, बिना रबड़ी-फालूदा खाये वहाँ से कोई जाता नहीं था। बिज़नेस का बढ़ता चलन देखकर उन्होंने अपने मेनू कार्ड का विस्तार करने का सोचा और उसमें मिल्कशेक, हलवा,और आइसक्रीम को जोड़ा और उनकी दूकान एक परफेक्ट स्वीट-शॉप में बदल गयी।
 
इसमें उनकी सबसे बड़ी ताकत उनकी क्रीमी आइसक्रीम थी जो बहुत ही सस्ती और टेस्टी थी और मध्यम-वर्गीय लोगों में यह बहुत प्रसिद्ध हुई। यह शरणार्थी दिल्ली वालों (मिठाई ) की नब्ज़ पकड़ने में कामयाब रहे। 1962 में उन्होंने अपनी पहली मशीन खरीदी, वह भी सेकंड-हैण्ड 12,000 रुपये की लागत से जो उनके लिए एक बहुत बड़ा निवेश था। बाद में भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ा परिवर्तन आया और आर्थिक विकास की एक नई लहर, नई समृद्धि की शुरुआत हुई। जब पश्चिम स्टाइल शॉपिंग मॉल का चलन शुरू हुआ तब उन्होंने यह महसूस किया कि नए ग्राहकों तक पहुँचने के लिए नए तरीके की भी जरुरत है और तब उन्होंने बस्किन रोब्बिन्स की तर्ज पर ज्ञानीज आइसक्रीम स्टोर्स की नींव रखी।
 

 
 

ज्ञानी जी ने समय के साथ-साथ बदलना शुरू किया। अपने नए ग्राहकों को लुभाने के लिए उन्होंने प्रोडक्ट के साथ कुछ नए प्रयोग भी किये। उन्होंने इम्पोर्टेड मशीन इटली से मंगाई पर दूध अपने पुराने किसान साझेदारों से ही लेते रहना जारी रखा। यह समय ऐसा था कि जिसमें मंदी के दौर ने अच्छे से अच्छे लोगों की भी कमर तोड़ कर रख दी थी। लेकिन ज्ञानी जी ने अपने स्मार्ट सोच से उस चुनौती को अपने लिए एक सुनहरे मौके में तब्दील कर दिया। इस समय किराया बहुत कम हो गया था और यही सही समय था दिल्ली के पॉश इलाके में कदम रखने का और उनके स्वाद को लुभाने का।
 
अब गुरप्रीत जो इंग्लैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ़ लीड्स से एमबीए कर अपना फैमिली बिज़नेस चला रहे हैं। उन्होंने इसमें बहुत सारे संगठनात्मक परिवर्तन किये हैं और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचने के लिए फ्रेंचाइजी भी अपनाया है। जो पहले मिल्कशेक, हलवा और रबड़ी-फालूदा के लिए मशहूर था अब वह 38 तरह के स्वाद वाले आइसक्रीम, फलों के शेक और आइसक्रीम सोडा के लिए मशहूर हो गया है। आज उनका टर्नओवर कई करोड़ रुपयों में है।
 
 
अधिकतर लोगों को लगता है कि फैमिली बिज़नेस करना बहुत ही आसान है पर मैं ऐसा बिलकुल नहीं सोचता। लोगों की उम्मीदें बहुत ज्यादा होती हैं और एक गलत निर्णय प्रतिकूल प्रभाव डालता है। लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए अब चुनौतियाँ काफ़ी बढ़ गई हैं। बाज़ार में अपने आप को बनाये रखने के लिए और प्रतिस्पर्धा की लड़ाई में बहुत सर्जरी चुनौतियाँ हैं।” — गुरप्रीत
 
अपने पिता से गुरप्रीत ने बिज़नेस के बहुत से गुर सीखे हैं। वे अब आइसक्रीम बनाते भी हैं और उसके थोक विक्रेता भी हैं। कड़ी मेहनत और लगन में विश्वास करने वाले गुरप्रीत महसूस करते हैं कि असफलता अस्थाई होती है और किसी काम में समर्पण करने से जो मिलता है वह होती है सही मायने में स्थाई सफलता।
 
ज्ञानी जी की सफलता की कहानी हमें यह बताती है कि कैसे आप बुनियादी सिद्धान्तों की छड़ी पकड़ कर विपरीत हो रही बाहरी स्थितियों के ख़िलाफ़ खड़े हो सकते हैं और अपनी सेवाओं की विरासत आगे जारी रख सकते हैं।
 

 
 
 
 
 

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Shibu Chandran
2 hours ago

Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

November 28, 2016 05:00 IST
Shibu Chandran
2 hours ago

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November 28, 2016 05:00 IST
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