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यहां हुआ था रावण के ब्राह्मण पिता को राक्षसी से प्यार, जानिए FACTS
Monday, May 7, 2018 IST
यहां हुआ था रावण के ब्राह्मण पिता को राक्षसी से प्यार, जानिए FACTS

नोएडा के पास स्थित बिसरख गांव में मिलता है राक्षस राज रावण का इतिहास।
 

 
 

मेरठ. ग्रेटर नोएडा से लगभग 10 किलोमीटर दूर बसा है रावण का गांव बिसरख। यहां न रामलीला होती है, न रावण दहन। यहां के निवासी रावण को राक्षस नहीं बल्कि इस गांव का बेटा मानते हैं। मंदिर के पुजारी और महंत ने रावण से जुड़े कुछ फैक्ट्स उजागर किए। गंगा दशहरा पर जानिए इसी अनूठे गांव का इतिहास। आज भी रावण के खौफ में जीता है ये गांव...   

- माइथोलॉजी के मुताबिक बिसरख गांव रावण का पैतृक गांव है। यहीं राक्षस राज का जन्म हुआ था।

- बिसरख में बने रावण मंदिर के पंडित बताते हैं, "रावण के पिता विश्रव ब्राह्मण थे। उन्होंने राक्षसी राजकुमारी कैकसी से शादी कर इंटर-कास्ट मैरिज की मिसाल रखी थी। रावण के अलावा कुंभकरण, सूर्पनखा और विभीषण का जन्म भी इसी गांव में हुआ।"

- जब पूरा देश अच्छाई की बुराई पर जीत के रूप में रावण के पुतले का दहन करता है, तब इस गांव में मातम का माहौल होता है।

- बिसरख गांव के लोग न रामलीला आयोजित करते हैं और न कभी रावण का दहन करते हैं। बल्कि दशहरा पर यहां शोक मनाया जाता है।

- इस परंपरा के पीछे गांव का इतिहास जुड़ा है। यहां दो बार रावण दहन किया गया, लेकिन दोनों ही बार रामलीला के दौरान किसी न किसी की मौत हुई।

- बिसरख में शिव मंदिर के पुजारी महंत रामदास का कहना है, "60 साल पहले इस गांव में पहली बार रामलीला का आयोजन किया गया था। रामलीला के बीच में जिस व्यक्ति के घर के कैंपस में आयोजन हुआ उसी का बेटा मर गया।"

- कुछ समय बाद गांववालों ने फिर से रामलीला रखी। इस बार उसमें हिस्सा लेने वाले एक पात्र की मौत हो गई। तब से ही यहां दशहरा पर रावण का पुतला नहीं जलता, न रामलीला होती है।

- यहां रावण की आत्मा की शांति के लिए यज्ञ-हवन किए जाते हैं। साथ ही नवरात्रि के दौरान शिवलिंग पर बलि चढ़ाई जाती है। रावण के पिता ने यहां बनवाया था शिवालय, मिलते हैं अवशेष

- बिसरख गांव का जिक्र शिवपुराण में भी किया गया है। - कहा जाता है कि त्रेता युग में इस गांव में ऋषि विश्रव का जन्म हुआ था। - उन्होंने यहां अष्टभुजी शिवलिंग की स्थापना की। - यह पौराणिक काल की शिवलिंग बाहर से देखने में महज 2.5 फीट की है, लेकिन जमीन के नीचे इसकी लंबाई लगभग 8 फीट है।

- इस गांव में अब तक 25 शिवलिंग मिले हैं, जिनमें से एक की गहराई इतनी है कि खुदाई के बाद भी उसका कहीं छोर नहीं मिला है।

- मंदिर के महंत रामदास ने बताया कि खुदाई के दौरान त्रेता युग के नरकंकाल, बर्तन और मूर्तियों के अलावा कई अवशेष मिले हैं।  अब है 42 फीट ऊंचे शिवलिंग की स्थापना की तैयारी

- बिसरख के ऐतिहासिक शिव मंदिर को नए सिरे से बनाया जा रहा है। - इस मंदिर का बजट लगभग 2 करोड़ रुपए का है। - यहां रावण की 5.5 फीट ऊंची मूर्ति के अलावा 42 फीट ऊंचे शिवलिंग को स्थापित करने की तैयारी हो रही है।- रावण की मूर्ति जयपुर से बनवाई गई है और स्थापना के लिए तैयार है। - दो मंदिरों के पुजारियों की आपसी गुटबाजी के चलते पिछले 10 सालों से रावण की मूर्ति स्थापित नहीं हो पा रही।- गांव वाले इस मूर्ति की पूजा भी करते हैं, जो कि मंदिर के बरामदे में रखी हुई है। - यहां के निवासी शिव मंदिर को ही रावण का मंदिर कह कर पूजा करते हैं। - यहां की दीवारों पर रावण के पिता की आकृति भी बनी हुई है।

15 जून को होगी स्थापना

- आगामी 15 जून को मंदिर में मूर्ति स्थापना करने की बात कही जा रही है।- रावण के अलावा उनके सौतेले भाई कुबेर की मूर्ति भी यहा लगाई जाएगी।- करीब एक साल पहले मंदिर कंस्ट्रक्शन के लिए ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की ओर से 40 लाख रुपए का बजट पास हुआ था।- अब तक मंदिर की चारदिवारी के अलावा एक हॉल का निर्माण हो सका है। - मंदिर के साथ ही शैल पुत्री माता का मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।

रावण से जुड़े अनजाने FACTS...

 
 

 
 
 
 
 

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Shibu Chandran
2 hours ago

Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

November 28, 2016 05:00 IST
Shibu Chandran
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November 28, 2016 05:00 IST
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