Length cannot be less than zero. Parameter name: lengthIncorrect syntax near ')'. Latest News, India News, Breaking News, Bollywood, Sports : TodayIndya

Latest News

  • Home
  • Global
  • जानिए इसे क्यों कहा जाता है दुनिया की 'आखिरी' सड़क ?
जानिए इसे क्यों कहा जाता है दुनिया की 'आखिरी' सड़क ?
Friday, October 9, 2020 IST
जानिए इसे क्यों कहा जाता है दुनिया की

नॉर्वे (Norway) में ई-69 एक हाइवे है, जिसकी लंबाई करीब 14 किलोमीटर है. इस हाइवे (Highway) पर ऐसी कई जगहें हैं, जहां अकेले पैदल चलना या गाड़ी चलाना भी मना है. इस सड़क पर अकेले जाना मना है.

 
 

आपने शायद ही कभी दुनिया की आखिरी सड़क के बारे में सुना है. आज हम आपको एक ऐसा ही सड़क के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे दुनिया की आखिरी सड़क (Last Road of World) कहा जाता है. दरअसल, उत्तरी ध्रुव (North Pole) पृथ्वी (Earth) का सबसे सुदूर बिंदु है जहां पर पृथ्वी की धुरी घूमती है. यह नॉर्वे (Norway) का आखिरी छोर पर है. यहां से आगे जाने वाले रास्ते को ही दुनिया की आखिरी सड़क माना जाता है. इस सड़क का नाम E-69 है, जो पृथ्वी के छोर और नॉर्वे को आपस में जोड़ती है. इस सड़क के आगे कोई अन्य सड़क नहीं है क्योंकि इसके आगे बर्फ के अलावा सिर्फ समुद्र ही समुद्र दिखाई देता है.
 
 
बता दें कि ई-69 एक हाइवे है, जिसकी लंबाई करीब 14 किलोमीटर है. इस हाइवे पर ऐसी कई जगहें हैं, जहां अकेले पैदल चलना या गाड़ी चलाना भी मना है. इस सड़क पर अकेले जाना मना है. यहां जाने के लिए आपको कई लोगों के साथ जाने पर अनुमति मिलती है. इसके पीछे वजह ये है कि हर तरफ बर्फ की मोटी चादर बिछी होने के कारण यहां खो जाने का खतरा हमेशा बना रहता है. इसलिए इस सड़क पर किसी को भी अपने नहीं जाने दिया जाता है. उत्तरी ध्रुव के पास होने के कारण यहां सर्दियों के मौसम में न तो रातें खत्म होती हैं और न ही गर्मियों में कभी सूरज डूबता है.
 
 
कभी-कभी तो यहां लगभग छह महीने तक सूरज नहीं दिखाई देता. सर्दियों में यहां का तापमान माइनस 43 डिग्री से माइनस 26 डिग्री सेल्सियस के बीच पहुंच जाता है और गर्मियों में यहां का तापमान औसत जमाव बिंदु जीरो डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है. यही नहीं इतना ठंडा होने के बावजूद भी यहां लोग रहते हैं. पहले यहां सिर्फ मछली का कारोबार होता था. लेकिन साल 1930 से इस जगह का विकास होना शुरू हुआ. करीब चार साल बाद यानी 1934 में यहां के लोगों ने मिलकर फैसला किया कि यहां सैलानियों का भी स्वागत किया जाना चाहिए, ताकि उनकी कमाई का एक अलग जरिया बन जाए.
 
 
उसके बाद यहां तमाम तरह के रेस्त्रा और छोटे मोटे होटल बन गए. अब दुनियाभर से लोग उत्तरी ध्रुव घूमने के लिए आते हैं. यहां उन्हें एक अलग दुनिया में होने का अहसास होता है. यहां डूबता हुआ सूरज और पोलर लाइट्स तो देखना अपने आप में बहुत रोमांचक होता है. यहां आपको गहरे नीले आसमान में कभी हरी तो कभी गुलाबी रोशनी देखने को मिलेगी. पोलर लाइट्स को ऑरोरा भी कहा जाता है. यह रात के समय दिखाई देता है वो भी तब जब आसमान में घोर अंधेरा छाया होता है.

 
 

 
 
 
 
 

Related Topics

 
 
 

Trending News & Articles

 

More in Global

 
 
 

   Prashnavali

  Thought of the Day

“You’re off to great places. Today is your day.”
Anonymous

Be the first one to comment on this story

Close
Post Comment
Shibu Chandran
2 hours ago

Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

November 28, 2016 05:00 IST
Shibu Chandran
2 hours ago

Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

November 28, 2016 05:00 IST
Shibu Chandran
2 hours ago

Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

November 28, 2016 05:00 IST
Shibu Chandran
2 hours ago

Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

November 28, 2016 05:00 IST


ads
Back To Top