इसी छोटे संदेश से अविश्वसनीय यात्रा शुरू हुई जो मुझे स्वयंभू राजाओं, ज़मीन पर अधिकार के दावों, ऐतिहासिक विसंगतियों और विश्व युद्ध काल के ब्रिटेन तक ले गई. इसमें पाइरेट रेडियो स्टेशन और कॉल पकड़ना भी शामिल था.
प्रिंस के ईमेल ने मुझे रोमांचित कर दिया. मुझे पहले कभी किसी प्रिंस का ईमेल नहीं आया था और भविष्य में भी ऐसा होने की गुंजाइश कम थी.
सीलैंड की छोटी-सी रियासत इंग्लैंड में सफ़ॉक तट के करीब है. दावा किया जाता है कि यह दुनिया का सबसे छोटा मुल्क है.
यह असल में दूसरे विश्व युद्ध के समय एंटी-एयरक्राफ्ट प्लेटफॉर्म था. इसे 1942 में बनाया गया था और इसका नाम था एचएम फोर्ट रफ्स.
यह उत्तरी सागर में ब्रिटेन की सीमा के बाहर बना हथियारबंद समुद्री किला था. युद्ध के समय यहां रॉयल नेवी के 300 तक सैनिक तैनात थे. 1956 में नौसैनिकों को यहां से पूरी तरह हटा लिया गया और यह तोप घर खंडहर बनने के लिए छोड़ दिया गया.
1966 तक यह निर्जन पड़ा रहा. फिर ब्रिटिश सेना का एक पूर्व मेजर यहां आया और उसने एक नये देश का गठन किया.
यह तट से 12 किलोमीटर दूर है जिसे नाव से देखा जा सकता है. देखने में यह जरा भी ख़ास नहीं है. दो पिलर पर बने प्लेटफॉर्म के ऊपर कंटेनर जैसी इमारत का ढांचा है.
नाव से ऊपर पहुंचने के लिए एक क्रेन से खींचे जाने की ज़रूरत पड़ती है. समुद्री हवा और लहरें ख़ौफ़ पैदा करती हैं.
इसके बारे में बहुत कुछ ऐसा है जो मैं नहीं जानता था. ऐसी ही कहानियों में शामिल है हेलिकॉप्टर से छापा, गैंगस्टर्स और यूरोपीय व्यापारियों के कब्जे की कोशिश.
सार्वजनिक किए गए ब्रिटिश सरकार के एक दस्तावेज में इसे "इंग्लैंड के पूर्वी तट का क्यूबा" कहा गया था.
सुनने में फ़िल्म का प्लॉट लगता है जिसे हॉलीवुड के किसी स्क्रिप्ट राइटर ने लिखा हो. एसेक्स का एक कामकाजी परिवार एक आउटपोस्ट को छोटे मुल्क में बदल दे, यकीन नहीं होता.
फिर भी, यहां उत्तरी सागर की इस वीरान जगह पर एक ख्वाब ने जन्म लिया, किसी भी शासन से उसे आज़ाद घोषित किया गया और यहां ब्रिटिश सनक पूरे ठसक के साथ राज करती है.
सीलैंड के प्रिंस माइकल ने चार दिन बार मेरे कॉल का जवाब दिया. उनके पास ढेरों दिलचस्प कहानियां थीं.
इनमें से कुछ उनके अपने संस्मरण 'होल्डिंग द फोर्ट' में छपी हैं. वह सीलैंड की उन कहानियों को भी सुनाने के लिए तैयार थे जो दुनिया के लिए अनजाने थे.
पूर्वी तट का क्यूबा
हम एसेक्स तट पर उनके मुख्य घर पर मिले. प्रिंस माइकल ने बताया, "मैं सिर्फ़ 14 साल का था जब मैं पहली बार स्कूल की गर्मी की छुट्टियों में पिताजी की मदद करने गया था. मुझे लगता है कि तब मैं वहां 6 हफ्ते रहा था."
"मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह कहानी 50 साल तक चलेगी. वह अजीब तरह की परवरिश थी. कभी-कभी हमें महीनों इंतज़ार करना पड़ता कि मेनलैंड से नाव आए तो राशन-पानी की आपूर्ति मिले. मैं क्षितिज की ओर देखता रहता था और सुबह से रात तक उत्तरी सागर के अलावा और कुछ नहीं दिखता था."
सीलैंड की भू-राजनीतिक परिस्थितियां जटिल हैं. किसी भी देश में सीलैंड को मान्यता नहीं दी है, भले ही प्रिंस माइकल का कहना है कि उनके देश ने कभी मान्यता मांगी ही नहीं.
ब्रिटेन ने इस प्लेटफॉर्म को युद्ध के समय अपनी समुद्री सीमा के बाहर अवैध रूप से बनाया था लेकिन उस वक़्त किसी के पास इस पर ध्यान देने की फुर्सत नहीं थी.
ब्रिटेन के पास जब तक मौका था वह इसे नष्ट कर सकता था लेकिन उन्होंने इधर झांका भी नहीं. दशकों बाद सीलैंड अब भी अपनी जगह पर है.
सीलैंड का क्षेत्रफल सिर्फ़ 0.004 वर्ग किलोमीटर है. छोटे देश आकार की हमारी धारणा को बदल देते हैं. लेकिन सवाल है कि लोग इतने छोटे देश का गठन ही क्यों करते हैं?
"माइक्रोनेशन: द लोनली प्लैनेट गाइड टू होम-मेड नेशन्स" के सह-लेखक जॉर्ज डनफोर्ड का कहना है कि इसके पीछे अपनी वर्तमान सरकार से असंतोष और अपने तरीके से काम करने की इच्छा होती है.
डनफोर्ड कहते हैं, "सीलैंड एक विशेष मामला है क्योंकि यह लंबे समय से बना हुआ है और यह कानूनों से बचता रहा है.
अमरीका में ऐसे परिवार को असंतुष्ट के रूप में देखा जाता. लेकिन 1960 के दशक का ब्रिटेन अधिक उदार था. शायद अधिकारियों ने सोचा होगा कि इस झंझट को सुलझाने में कोई फायदा नहीं है. उन्होंने एकाध प्रयास किए थे, टेकओवर की कोशिश हुई थी लेकिन यह बच गया."
मान्यता का नियम
छोटे देशों को मान्यता देने का नियम 1933 में मोंटेवीडियो सम्मेलन में बनाया गया था जिसमें राज्यों के अधिकार और कर्तव्य तय किए गए थे.
तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट समेत अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने उस पर दस्तखत किए थे. इसी सम्मेलन में राज्य के चार मुख्य मानदंड तय किए गए थे.
डनफोर्ड के मुताबिक छोटे देशों को मोंटेवीडियो सम्मेलन के मानदंडों से ही परिभाषित किया जाता है. राज्य कहलाने के लिए आबादी, भौगोलिक क्षेत्र, सरकार और अन्य देशों से संबंध को देखा जाता है.
चौथा और आख़िरी पैमाना छोटे देशों को व्याकुल बनाता है क्योंकि अक्सर वे दूसरे देशों को उत्तेजित करते रहते हैं कि वे उनको मान्यता दें. सीलैंड इससे परहेज करता है. उसका कहना है कि वह संप्रभु राज्य है और उसका अपना शासक है.
हर देश की उत्पत्ति की एक कहानी होती है. सीलैंड की कहानी 1965 से शुरू होती है जब प्रिंस माइकल के पिता पैडी रॉय बेट्स, जो ब्रिटिश सेना के पूर्व मेजर थे और अब मछली पकड़ना शुरू किया था, उन्होंने रेडियो इसेक्स की स्थापना की.
उनका पाइरेट रेडियो स्टेशन नॉक जॉन पर था. वह भी एच एम फोर्ट रफ्स के पास एक समुद्री किला था जिसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया था.
उस समय अवैध रेडियो स्टेशनों की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि ब्रिटिश सरकार को 1967 में समुद्री प्रसारण अपराध कानून बनाना पड़ा. उसका मकसद एक ही था- उन सब रेडियो स्टेशनों को बंद करना.
मौका देखकर बेट्स अपने रेडियो स्टेशन को एचएम फोर्ट रफ्स ले गए. यह ब्रिटेन की समुद्री सीमा से दूर अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में था.