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इंग्लैंड तट के पास अनोखा 'देश' सीलैंड
Friday, May 8, 2020 IST
इंग्लैंड तट के पास अनोखा

यह कहानी एक ईमेल से शुरू होती है जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा. मई महीने की एक सुबह सीलैंड के प्रिंस माइकल का संदेश आया था- "आप मुझसे बात कर सकते हैं."

 
 

इसी छोटे संदेश से अविश्वसनीय यात्रा शुरू हुई जो मुझे स्वयंभू राजाओं, ज़मीन पर अधिकार के दावों, ऐतिहासिक विसंगतियों और विश्व युद्ध काल के ब्रिटेन तक ले गई. इसमें पाइरेट रेडियो स्टेशन और कॉल पकड़ना भी शामिल था.
 
प्रिंस के ईमेल ने मुझे रोमांचित कर दिया. मुझे पहले कभी किसी प्रिंस का ईमेल नहीं आया था और भविष्य में भी ऐसा होने की गुंजाइश कम थी.
 
सीलैंड की छोटी-सी रियासत इंग्लैंड में सफ़ॉक तट के करीब है. दावा किया जाता है कि यह दुनिया का सबसे छोटा मुल्क है.
 
यह असल में दूसरे विश्व युद्ध के समय एंटी-एयरक्राफ्ट प्लेटफॉर्म था. इसे 1942 में बनाया गया था और इसका नाम था एचएम फोर्ट रफ्स.
 
 
यह उत्तरी सागर में ब्रिटेन की सीमा के बाहर बना हथियारबंद समुद्री किला था. युद्ध के समय यहां रॉयल नेवी के 300 तक सैनिक तैनात थे. 1956 में नौसैनिकों को यहां से पूरी तरह हटा लिया गया और यह तोप घर खंडहर बनने के लिए छोड़ दिया गया.
 
1966 तक यह निर्जन पड़ा रहा. फिर ब्रिटिश सेना का एक पूर्व मेजर यहां आया और उसने एक नये देश का गठन किया.
 
यह तट से 12 किलोमीटर दूर है जिसे नाव से देखा जा सकता है. देखने में यह जरा भी ख़ास नहीं है. दो पिलर पर बने प्लेटफॉर्म के ऊपर कंटेनर जैसी इमारत का ढांचा है.
 
नाव से ऊपर पहुंचने के लिए एक क्रेन से खींचे जाने की ज़रूरत पड़ती है. समुद्री हवा और लहरें ख़ौफ़ पैदा करती हैं.
 
इसके बारे में बहुत कुछ ऐसा है जो मैं नहीं जानता था. ऐसी ही कहानियों में शामिल है हेलिकॉप्टर से छापा, गैंगस्टर्स और यूरोपीय व्यापारियों के कब्जे की कोशिश.
 
सार्वजनिक किए गए ब्रिटिश सरकार के एक दस्तावेज में इसे "इंग्लैंड के पूर्वी तट का क्यूबा" कहा गया था.
 
सुनने में फ़िल्म का प्लॉट लगता है जिसे हॉलीवुड के किसी स्क्रिप्ट राइटर ने लिखा हो. एसेक्स का एक कामकाजी परिवार एक आउटपोस्ट को छोटे मुल्क में बदल दे, यकीन नहीं होता.
 
फिर भी, यहां उत्तरी सागर की इस वीरान जगह पर एक ख्वाब ने जन्म लिया, किसी भी शासन से उसे आज़ाद घोषित किया गया और यहां ब्रिटिश सनक पूरे ठसक के साथ राज करती है.
 
सीलैंड के प्रिंस माइकल ने चार दिन बार मेरे कॉल का जवाब दिया. उनके पास ढेरों दिलचस्प कहानियां थीं.
 
इनमें से कुछ उनके अपने संस्मरण 'होल्डिंग द फोर्ट' में छपी हैं. वह सीलैंड की उन कहानियों को भी सुनाने के लिए तैयार थे जो दुनिया के लिए अनजाने थे.
 
 
पूर्वी तट का क्यूबा
 
हम एसेक्स तट पर उनके मुख्य घर पर मिले. प्रिंस माइकल ने बताया, "मैं सिर्फ़ 14 साल का था जब मैं पहली बार स्कूल की गर्मी की छुट्टियों में पिताजी की मदद करने गया था. मुझे लगता है कि तब मैं वहां 6 हफ्ते रहा था."
 
"मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह कहानी 50 साल तक चलेगी. वह अजीब तरह की परवरिश थी. कभी-कभी हमें महीनों इंतज़ार करना पड़ता कि मेनलैंड से नाव आए तो राशन-पानी की आपूर्ति मिले. मैं क्षितिज की ओर देखता रहता था और सुबह से रात तक उत्तरी सागर के अलावा और कुछ नहीं दिखता था."
 
सीलैंड की भू-राजनीतिक परिस्थितियां जटिल हैं. किसी भी देश में सीलैंड को मान्यता नहीं दी है, भले ही प्रिंस माइकल का कहना है कि उनके देश ने कभी मान्यता मांगी ही नहीं.
 
ब्रिटेन ने इस प्लेटफॉर्म को युद्ध के समय अपनी समुद्री सीमा के बाहर अवैध रूप से बनाया था लेकिन उस वक़्त किसी के पास इस पर ध्यान देने की फुर्सत नहीं थी.
 
ब्रिटेन के पास जब तक मौका था वह इसे नष्ट कर सकता था लेकिन उन्होंने इधर झांका भी नहीं. दशकों बाद सीलैंड अब भी अपनी जगह पर है.
 
सीलैंड का क्षेत्रफल सिर्फ़ 0.004 वर्ग किलोमीटर है. छोटे देश आकार की हमारी धारणा को बदल देते हैं. लेकिन सवाल है कि लोग इतने छोटे देश का गठन ही क्यों करते हैं?
 
"माइक्रोनेशन: द लोनली प्लैनेट गाइड टू होम-मेड नेशन्स" के सह-लेखक जॉर्ज डनफोर्ड का कहना है कि इसके पीछे अपनी वर्तमान सरकार से असंतोष और अपने तरीके से काम करने की इच्छा होती है.
 
डनफोर्ड कहते हैं, "सीलैंड एक विशेष मामला है क्योंकि यह लंबे समय से बना हुआ है और यह कानूनों से बचता रहा है.
 
अमरीका में ऐसे परिवार को असंतुष्ट के रूप में देखा जाता. लेकिन 1960 के दशक का ब्रिटेन अधिक उदार था. शायद अधिकारियों ने सोचा होगा कि इस झंझट को सुलझाने में कोई फायदा नहीं है. उन्होंने एकाध प्रयास किए थे, टेकओवर की कोशिश हुई थी लेकिन यह बच गया."
 
 
मान्यता का नियम
 
छोटे देशों को मान्यता देने का नियम 1933 में मोंटेवीडियो सम्मेलन में बनाया गया था जिसमें राज्यों के अधिकार और कर्तव्य तय किए गए थे.
 
तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट समेत अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने उस पर दस्तखत किए थे. इसी सम्मेलन में राज्य के चार मुख्य मानदंड तय किए गए थे.
 
डनफोर्ड के मुताबिक छोटे देशों को मोंटेवीडियो सम्मेलन के मानदंडों से ही परिभाषित किया जाता है. राज्य कहलाने के लिए आबादी, भौगोलिक क्षेत्र, सरकार और अन्य देशों से संबंध को देखा जाता है.
 
चौथा और आख़िरी पैमाना छोटे देशों को व्याकुल बनाता है क्योंकि अक्सर वे दूसरे देशों को उत्तेजित करते रहते हैं कि वे उनको मान्यता दें. सीलैंड इससे परहेज करता है. उसका कहना है कि वह संप्रभु राज्य है और उसका अपना शासक है.
 
हर देश की उत्पत्ति की एक कहानी होती है. सीलैंड की कहानी 1965 से शुरू होती है जब प्रिंस माइकल के पिता पैडी रॉय बेट्स, जो ब्रिटिश सेना के पूर्व मेजर थे और अब मछली पकड़ना शुरू किया था, उन्होंने रेडियो इसेक्स की स्थापना की.
 
उनका पाइरेट रेडियो स्टेशन नॉक जॉन पर था. वह भी एच एम फोर्ट रफ्स के पास एक समुद्री किला था जिसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया था.
 
उस समय अवैध रेडियो स्टेशनों की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि ब्रिटिश सरकार को 1967 में समुद्री प्रसारण अपराध कानून बनाना पड़ा. उसका मकसद एक ही था- उन सब रेडियो स्टेशनों को बंद करना.
 
मौका देखकर बेट्स अपने रेडियो स्टेशन को एचएम फोर्ट रफ्स ले गए. यह ब्रिटेन की समुद्री सीमा से दूर अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में था.
 

 
 

 
रेडियो स्टेशन
 
नॉक जॉन की तरह यह समुद्री किला भी निर्जन था और बुरी दशा में था. बेट्स ने 1966 की क्रिसमस से पहले इस पोस्ट पर कब्ज़ा कर लिया.
 
नौ महीने बाद 2 सितंबर 1967 को उन्होंने सीलैंड रियासत का एलान कर दिया. उस दिन उनकी पत्नी जोन का जन्मदिन था. कुछ ही दिन बाद पूरा परिवार सीलैंड पर रहने चला आया.
 
1970 के दशक में अपने चरम दिनों में यहां प्लेटफॉर्म पर 50 लोग रहते थे. उनमें रखरखाव कर्मचारियों के परिवार वाले और दोस्त भी शामिल थे. उस समय यह ब्रिटेन में सरकार विरोधी आंदोलनों का प्रतीक बन गया था.
 
सीलैंड में दूसरी समस्याएं थीं. प्रिंस माइकल कहते हैं, "कुछ भी काम नहीं आया. हमने मोमबत्तियों से शुरुआत की थी, फिर हरिकेन लैंप और जेनरेटर पर आ गए."
 
"अच्छी बात ये थी कि यह नाव जितनी सूखी थी. अगर आप नहीं जानते कि आप समुद्र में हैं तो आप कभी बयां नहीं कर सकते. मैंने वहां सालों साल बिताए लेकिन आप जानते हैं यह घर था."
 
सीलैंड ने अपनी राष्ट्रीयता बनाई. इसने सेना के शासकीय चिह्न तय किए और संविधान बनाया. उसका अपना झंडा है, फुटबॉल टीम है और राष्ट्रगान है.
 
सीलैंड की मुद्रा पर प्रिंसेस जोन की तस्वीर है. अभी तक करीब 500 पासपोर्ट जारी किए गए हैं. इस छोटे देश का आदर्श वाक्य है- आज़ादी से प्यार.
 
माइकल, उनके तीन बच्चे (जेम्स, लियाम और शार्लोट) और उनकी दूसरी पत्नी (मेई शी, जो चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की पूर्व मेजर हैं) सीलैंड राजवंश को जारी रखे हुए हैं. मोटो में लिखा है- "ई मेर, लिबर्टास" या "समुद्र से, आज़ादी".
 
 
ब्रिटेन से नाराज़गी
प्रिंस माइकल कॉकल पकड़ने के कारोबार के भी मालिक हैं. वह कहते हैं, "मेरे पिता अपना देश बनाने को कभी तैयार नहीं थे. वह इस बात से आहत थे कि सरकार उनके रेडियो स्टेशन को बंद करना चाहती थी. हम ब्रिटिश सरकार से लड़े और जीते. सीलैंड ने अब तक अपनी आज़ादी कायम रखी है."
 
सीलैंड के इतिहास का सबसे विवादित मामला अगस्त 1978 का है. कब्ज़ा करने के मकसद से जर्मनी और हॉलैंड के कुछ भाड़े के लोगों ने सीलैंड पर धावा बोल दिया. लेकिन बेट्स परिवार ने बंदूक की नोंक पर उन पर काबू पा लिया और सबको बंधक बना लिया.
 
"उनको छुड़ाने के बारे में बात करने के लिए लंदन में जर्मनी के राजदूत और एक आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल हेलिकॉप्टर से सीलैंड आया. इस तरह बातचीत करके उन्होंने हमें वास्तविक मान्यता दे दी."
 
आज़ादी सस्ते में नहीं मिलती. सीलैंड के रखरखाव का ख़र्च है. सालों भर पहरा देने वाले दो संतरी वहीं रहते हैं. ख़र्च निकालने के लिए सीलैंड का ऑनलाइन स्टोर टी-शर्ट, डाक टिकट और राजकीय पदवियां बेचता है. लॉर्ड, लेडी, बैरोन या बैरोनेस की उपाधि 29.99 पाउंड में खरीदी जा सकती है.
 
यहां सीमा शुल्क और आप्रवासन के सामान्य नियम लागू नहीं होते. सीलैंड जाना तभी मुमकिन है जब प्रिंस से आधिकारिक निमंत्रण मिले. वह ख़ुद साल में दो से तीन बार वहां जाते हैं और रखरखाव करने वाले कर्मचारियों के अलावा फिलहाल वहां कोई नहीं रहता.
 
डनफोर्ड कहते हैं, "सीलैंड की स्थिति हमेशा डगमगाती रही, लेकिन मौजूदा प्रिंस ने इसे अच्छे से संभाला है. छोटे देशों के बारे में यही चीज मुझे पसंद है. जिस तरह से वे असल राष्ट्रवाद की ठसक दिखाते हैं वह शानदार है."
 
 
नागरिकता का आवेदन
 
सीलैंड को हर रोज 100 से अधिक ईमेल आते हैं जिनमें यहां का नागरिक बनने की दरख्वास्त होती है. दिल्ली से लेकर टोक्यो तक के लोग सीलैंड के झंडे के प्रति निष्ठा रखने की कसम खाने को तैयार हैं.
 
प्रिंस माइकल कहते हैं, "हमारी कहानी अब भी लोगों को उत्तेजित करती है. हम ऐसे समाज में नहीं रहते जहां लोगों को कहा जाए कि क्या करना है. सभी सरकार से आज़ादी के विचार को पसंद करते है. दुनिया को हमारी तरह प्रेरक जगहों की ज़रूरत है- ऐसी जगहें बहुत कम हैं."
 
बेट्स परिवार की ज़िंदगी में एक चीज बनी हुई है. सीलैंड अब भी अपनी जगह पर मौजूद है. वह उत्तरी सागर को चुपचाप निहार रहा है.
 
हम जैसे बाकी लोगों के लिए यह दिलचस्प जगह ब्रिटेन के पास होते हुए भी ब्रिटेन से बहुत दूर है. यह इतना असाधारण और अलग है कि नामुमकिन लगता है.
 

 
 

Source :

 
 
 

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Shibu Chandran
2 hours ago

Serving political interests in another person's illness is the lowest form of human value. A 70+ y old lady has cancer.

November 28, 2016 05:00 IST
Shibu Chandran
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