बच्चों में टूरेट सिंड्रोम के 5 प्रमुख लक्षण
Tuesday, April 17, 2018 IST
1.क्या है टूरेट सिंड्रोम
बच्चे जब इस दुनिया में कदम रखते हैं तो वह हर चीज से अनजान होते हैं, ऐसे में उनके समुचित विकास की सही तरह से देखभाल करने की जिम्मेदार मां-बाप की होती है। बच्चों में बीमारी की शुरूआत होना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। इसलिए मां-बाप को बच्चों के चलने, उठने, लिखने, सीखने, व्यावहार करने, आदि की बातों पर गौर करना चाहिए। इन सब मामलों में अगर आपको कुछ असमानता लगे तो वह टूरेट सिंड्रोम (Tourette Syndrome) के कारण हो सकता है। यह ऐसा सिंड्रोम है जो बच्चों को 2 से 14 साल की उम्र में होता है। इसके लक्षण बच्चों के व्यवहार में आसानी से देखा जा सकता है। हालांकि इसका उपचार नहीं हो सकता लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लक्षणों के बारे में यहां विस्तार से जानें।
2.शरीर के अंग
बच्चा अगर सामान्य हैं तो वह उनका व्यवहार भी असामान्य नहीं होगा। जबकि टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे की शारीरिक हरकतें कुछ अलग होगी। बार-बार लगातार पलकों का झपकना, बाहों को हिलाना, होठों का हिलना, इसके लक्षण हैं।
3.शारीरिक गतिविधि
बच्चों का स्वभाव बहुत ही चंचल होता है और वह शरारती भी होते हैं, इसलिए एक जग बैठना उनके लिए असंभव है और वे हमेशा कूद-फांद करते रहते हैं। लेकिन जो बच्चा टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त होगा उसे चलने, दौड़ने, सीधा बैठने, आदि में समस्या होगी।
4.अर्थहीन और गलत शब्दों का प्रयोग
बच्चे गुस्सा हो जायें तो कयामत आ जाती है। लेकिन यह सामान्य बच्चों के साथ कभी-कभी होता है और वे गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करते हैं। लेकिन टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे कहीं पर भी यहां तक कि सार्वजनिक जगहों पर अर्थहीन और गलत शब्दों का प्रयोग बार-बार करेंगे।
5.गुस्सैल स्वभाव
कुछ बच्चों का व्यवहार बहुत ही आक्रामक होता है। लेकिन अगर यही व्यहवार निरंतर बना है तो समझ लीजिए कि आपका बच्चा टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त है। इस सिंड्रोम के कारण बच्चा हमेशा गुस्से में रहेगा, हर बात पर वह चिल्लायेगा, तोड़-फोड़ करेगा, खुद को भी चोट पहुंचायेगा।
6.मानसिक रूप से अस्वस्थ
टूरेट सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे मानसिक रूप से भी अस्वस्थ रहते हैं। ऐसे बच्चों का मूड स्विंग होता है। ऐसे बच्चे तनाव ग्रस्त रहते हैं। इसके अलावा इस सिंड्रोम का लक्षण कुछ हद तक ओसीडी (obsessive compulsive disorder) और एडीएचडी (attention-deficit hyperactivity disorder) के जैसा होता है। ऐसे में बच्चों के लक्षण की पहचान कर चिकित्सक से जल्द संपर्क करें।
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